जर्मनी में पढ़ाई करने का फैसला करने के बाद से लेकर यहां दाखिला पाने तक का काम पूरा कर लेना आधी जंग जीत लेने जैसा है. इस जंग का दूसरा हिस्सा इसके बाद शुरू होता है. इसकी वजह है खर्च.
अर्थशास्त्र से लेकर रयासन शास्त्र तक या लाइबनित्स से लेकर आइन्स्टाइन तक, पढ़ाई का कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है जिसमें जर्मनी ने ऊंचाइयों को न छुआ हो. आइए, जानें कि ऐसे कौन कौन से संस्थान हैं जहां आप रिसर्च कर सकते हैं.
जर्मनी में एक सर्विस है जिसे जर्मन ऐकेडेमिक एक्सचेंज सर्विस कहते हैं. इसका मकसद बाहर से यहां पढ़ने आने वाले छात्रों को मदद देना है. इस सर्विस के तहत कम से कम 100 कोर्सों में विदेशी छात्रों को मदद दी जाती है.
अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाई करने के इच्छुक छात्रों के लिए अब जर्मनी के रास्ते खुल रहे हैं. विचारकों और दार्शनिकों के इस देश में जर्मन भाषा पर मजबूत पकड़ के बगैर भी पढ़ाई करने के सपने को साकार किया जा सकता है.
जर्मनी की क्लासिकल यूनिवर्सिटी मेडिसिन, कानून, ह्यूमेनिटीज, नेचुरल साइंस के क्षेत्र में कई प्रकार के पाठ्यक्रम उपलब्ध कराती हैं. हाल के सालों में कई विश्वविद्यालय अब डिस्टेंस लर्निंग और ऑनलाइन कोर्स भी शुरू कर रहे हैं.
प्रकृति से सीखना न कि क्लासरूम में, इंसानों को यह बात बहुत लुभाती है. मिसाल के तौर पर ओटो लीलियेंथाल, जिन्होंने लगभग 150 साल पहले सीधे चिड़ियों से सीख ली और विमान बनाया. ऐसी दिलचस्प पढ़ाई भी यहां की यूनिवर्सिटी में है.
ब्रिटिश काउंसिल के सर्वे में पता चला है कि जर्मनी उच्च शिक्षा के क्षेत्र में चोटी पर है. जर्मनी ने ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और चीन को पीछे छोड़ दिया है.
हर कंपनी को एक वकील की जरूरत होती है और कानून को लेकर सवाल हर जगह उपजते हैं. इसलिए आजकल कई भाषा बोलने वाले और उच्च शिक्षा हासिल किए हुए वकीलों की जरूरत है. यहां यूरोपीय कानून भी पढ़ाया जाता है.
जर्मनी का नात्सी इतिहास पूरे देश की अंतररात्मा को अब भी कचोट रहा है. कई सालों तक बर्लिन में नात्सी यातनी में मरने वाले लोगों के लिए एक स्मारक बनाने पर विवाद चलता रहा. छात्र ऐसे भी इतिहास की पढ़ाई करते हैं.
गिरजाघर में पादरी बनना शायद इस सदी में कुछ पुराने खयालों वाली बात लगे. आजकल इसकी पढ़ाई बहुत लोगों को आकर्षित नहीं करती. लेकिन जर्मनी में कई लोग इसकी पढ़ाई कर रहे हैं, पर क्यों और कैसे.
जर्मनी की राजनीतिक व्यवस्था की खूबी है कि अंतरराष्ट्रीय छात्रों की मदद करना यहां के राजनीतिक दलों के एजेंडे का हिस्सा है. वे इस बात को समझते हैं कि भविष्य में छात्रों के जर्मन संस्थाओं, कंपनियों के साथ गाढ़े संबंध हों.
हाल के समय में जर्मनी का शैक्षिक चेहरा बदला है. बैचलर और मास्टर डिग्री एक तरह से अच्छी यूनिवर्सटियों में जाने के लिए नियम की तरह बन गई हैं. अच्छे विश्वविद्यालय छात्रों को पढ़ाई का खर्च उठाने में भी मदद करने लगे हैं.
आखन पश्चिमी जर्मनी का छोटा सा शहर है, लेकिन इंजीनयरिंग और टेक्नोलजी की पढ़ाई के मामले में इसका बड़ा नाम है. इसकी वजह है आरडब्लूटीएच आखन यूनिवर्सिटी जहां हजारों विदेशी छात्र अपना भाग्य बना रहे हैं.
मलावी, लेसोथो, स्वाजीलैंड और मॉरीशियस के कस्टम अधिकारी आखिर जर्मनी में क्या कर रहे हैं. म्युंस्टर में पढ़ाई. मास्टर डिग्री की पढ़ाई कस्टम्स एडमिनिस्ट्रेशन करने कस्टम्स में तरराष्ट्रीय कानूनों के बारे में पता चलता है.
जर्मनी की राजधानी बर्लिन न सिर्फ देश का सबसे बड़ा शहर है बल्कि दुनिया के इतिहास में भी इसकी ख़ास भूमिका है. बर्लिन ने लड़ाइयां भी देखीं हैं, आंसूओं की बाढ़ भी और इनसे गुजर चुका ये शहर अब उम्मीदें भी देता और ज़िंदादिली भी
84 हज़ार की आबादी वाले ट्युबिन्गन में हर चौथा आदमी छात्र है. इस तरह ये शहर जर्मनी में छात्रों के सबसे सघन घनत्व वाला शहर है. पढ़ने लिखने वालों का मक्का है ये शहर. यहां का माहौल ही कुछ ऐसा है.
येना में आप कहीं भी हों, “केक्सरोल्ले” यानी कुकीज़ रोल पर हमेशा नज़र पड़ ही जाएगी. ये उपनाम दिया है येना के निवासियों ने यूनिवर्सिटी के टॉवर को, जो 122 मीटर ऊंचा है. ये बताता है कि येना किस कदर प्रयोगधर्म शहर है.
जर्मनी के बावारिया सूबे की राजधानी है म्युनिख. इसे लोग जर्मनी की सीक्रेट यानी गुप्त राजधानी भी कहते हैं. लोकप्रियता में म्युनिख बर्लिन को टक्कर देता है. म्युनिख़ एक गांव भी लगता है और एक शहर भी और एकदम आला दर्जे का.