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  • कोलोन टू बॉन

    हाइवे की कहानी

    कोलोन टू बॉन

    जर्मनी का पहला हाइवे 6 अगस्त 1932 को शुरू हुआ. कोलोन और बॉन शहरों के बीच हाइवे को बनाने में 86 लाख राइष मार्क (उस वक्त की जर्मन मुद्रा) लगे. उस वक्त कोलोन के मेयर कोनराड आडेनावर ने यह प्रोजेक्ट शुरू किया.

  • सड़क से प्रगति

    हाइवे की कहानी

    सड़क से प्रगति

    1933 में नाजियों के शासन में आने के बाद कोलोन बॉन हाइवे को आम सड़क का दर्जा दे दिया और उन्होंने देश भर में ऑटोबान का निर्माण खुद शुरू किया. उनका कहना था कि इससे बेरोजगारी खत्म होगी.

  • सिर्फ प्रोपेगैंडा

    हाइवे की कहानी

    सिर्फ प्रोपेगैंडा

    शुरु में सालाना 1000 किलोमीटर सड़क बनाने की योजना थी. लेकिन 1938 में यह योजना खत्म हो गई और 1940 से युद्धबंदियों को सड़क निर्माण में लगाया गया. 1941-1942 में निर्माण पूरी तरह बंद रहा.

  • तेल का अभाव

    हाइवे की कहानी

    तेल का अभाव

    1973 में तेल संकट ने दूसरे विश्व युद्ध के बाद बढ़ती जर्मन अर्थव्यवस्था पर लगाम लगा दी. पहली बार पश्चिमी जर्मनी में कार चलाने पर प्रतिबंध लगाया गया. खाड़ी युद्ध के कारण तेल आयात में भारी कमी आई.

  • गति पर सीमा नहीं

    हाइवे की कहानी

    गति पर सीमा नहीं

    विदेशियों के लिए जर्मन ऑटोबान का मतलब है बिना स्पीड लिमिट के गाड़ी चलाना. लेकिन सिर्फ कुछ ही जगहों पर स्पीड लिमिट नहीं है और कोई कितना भी तेज चला सकता है. लेकिन ज्यादातर सड़कों पर अधिकतम सीमा 130 किलोमीटर प्रति घंटा है.

  • ट्रैफिक जाम

    हाइवे की कहानी

    ट्रैफिक जाम

    जर्मन ऑटोमोबाइल क्लब के अनुसार 2011 में ट्रैफिक जाम की कुल लंबाई साढ़े चार लाख किलोमीटर थी. दुर्घटनाओं और गाड़ियां की भारी संख्या के अलावा स्कूलों में छुट्टियों की वजह से भी गाड़ियां जाम में फंसती रहीं.

  • पूरब से पश्चिम तक

    हाइवे की कहानी

    पूरब से पश्चिम तक

    1989 में बर्लिन दीवार के गिरने की एक मशहूर तस्वीर. पूर्वी जर्मनी की ट्राबी कारों ने पश्चिम के ऑटोबान पर भीड़ लगा दी. पूर्वी जर्मनी से बहुत से लोग पश्चिम में अपने रिश्तेदारों और दोस्तों से मिलने आए.

  • पूरब का पुनर्निर्माण

    हाइवे की कहानी

    पूरब का पुनर्निर्माण

    1990 में एकीकरण के बाद पूर्वी जर्मन सड़कों की बुरी हालत का पता लगा. कुछ सड़कें नाजियों के वक्त से वैसी की वैसी पड़ी थीं. जर्मन सरकार ने नई सड़कें बनवाईं और पूरब से संपर्क आसान बनाया.

  • राष्ट्रीय हाइवे A40

    हाइवे की कहानी

    राष्ट्रीय हाइवे A40

    2010 में रुअर इलाके को यूरोप की सांस्कृतिक राजधानी घोषित किया गया. डुइसबुर्ग से लेकर डॉर्टमुंड तक हाइवे बंद किए गए और मेहमानों को यहां खुले में घूमने का मौका मिला. 30 लाख लोग ऑटोबान पर सैर करने आए और उस पर साइकिलें चलाईं.

  • कंक्रीट का कैंसर

    हाइवे की कहानी

    कंक्रीट का कैंसर

    पिछले कुछ सालों से जर्मन ऑटोबान 'कंक्रीट कैंसर' का शिकार हैं. जब सड़कों में इस्तेमाल हो रहे बालू में सिलिकन डाय ऑक्साइड मिलाया जाता है तो एक ऐसा रसायन बनता है जो कोलतार में दरारें पैदा करता है.

  • साइकिल हाइवे

    हाइवे की कहानी

    साइकिल हाइवे

    नीदरलैंड्स, डेनमार्क और बेल्जियम में साइकिलों के लिए हाइवे आम बात है. अब दूसरे देश भी नकल कर रहे हैं.


    रिपोर्ट: मानसी गोपालकृष्णन | संपादन: महेश झा