1. Inhalt
  2. Navigation
  3. Weitere Inhalte
  4. Metanavigation
  5. Suche
  6. Choose from 30 Languages

हमारा पता

आपको हमारी वेब साइट कैसी लगी? आपके विचारों, सुझावों, आलोचनाओं और टिप्पणियों के साथ साथ आपके प्रश्नों का सहर्ष स्वागत है. आप हमसे पोस्ट, फैक्स और इ-मेल पर सम्पर्क कर सकते हैं.

हमारा पता है

Deutsche Welle
Hindi Programme
53110 Bonn
Deutschland

Tel.: +49-228/429-4760
Fax.: +49-228/429-4720
Email: hindi@dw.de

-----------------------------

Deutsche Welle
Hindi Programme
Post Box No. 2806
Karachi, Pakistan

Deutsche Welle
Hindi Programme
Post Box No. 5211, Chanakyapuri
New Delhi - 110 021, India

Deutsche Welle
Hindi Programme
Post Box No. 2170
Dhaka, Bangladesh

  • हमारी टीम

    डॉयचे वेले हिंदी की टीम

    DW हिन्दी 1964 से जर्मनी से अपनी खास पेशकश के साथ आप के साथ बना हुआ है. बात चाहे भारत की हो या फिर दुनिया की, DW समझता है कि आपको क्या चाहिए और इसलिए पहुंचाता है आपसे जुड़ी सभी खबरें. देखिये...कौन हैं DW हिन्दी के पीछे छिपे चेहरे, जो आप तक पहुंचाते हैं देश और दुनिया का हाल.

  • हमारी टीम

    ग्रैहम लूकस

    ग्रैहम लूकस DW के दक्षिण एशिया विभाग के प्रमुख हैं. वह हिंदी, बांग्ला, उर्दू और एशिया अंग्रेजी विभागों के रेडियो और वेबसाइट कार्यक्रमों के मुखिया हैं. लगभग 30 साल से पत्रकारिता से जुड़े हैं और इस दौरान रेडियो और टेलीविजन की रिपोर्टिंग और ऐंकरिंग की है. एकीकरण के बाद जब तक बॉन राजधानी बनी रही, तब तक उन्होंने डॉयचे वेले रेडियो और टीवी का प्रतिनिधित्व किया. 1983 से डॉयचे वेले परिवार के सदस्य हैं.

  • हमारी टीम

    प्रिया एसेलबॉर्न

    प्रिया एसेलबॉर्न DW में प्रबंध ड्यूटी संपादक हैं और हिन्दी विभाग की प्रमुख. म्यूनिख यूनिवर्सिटी में राजनीतिशास्त्र की पढ़ाई करते हुए पत्रकारिता से जुड़ गईं. वह बेशक जर्मनी में पली बढ़ीं हैं लेकिन भारत में भी लंबा वक्त बिताया है और वहां की संस्कृति को बेहद क़रीब से जानती हैं. हिन्दी, जर्मन, अंग्रेज़ी और फ्रेंच फर्राटे से बोलने वाली प्रिया ने छोटे वक्त में बड़ा अनुभव हासिल किया.

  • हमारी टीम

    महेश झा

    बिहार और राजधानी दिल्ली के स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में पढ़ते हुए इन संस्थानों की साहित्यिक गतिविधियों से जुड़े रहे. दिल्ली विश्वविद्यालय से भारतीय और चीनी इतिहास में स्नातकोत्तर किया और इस दौरान अख़बारों और पत्रिकाओं के लिए लिखते रहे. बर्लिन के रेडियो बर्लिन इंटरनैशनल ने ब्रॉडकास्टर बनने का अवसर दिया और साथ ही संस्कृतियों के बीच पुल बनाने की भूमिका भी.

  • हमारी टीम

    अनवर जमाल अशरफ

    1997 से पत्रकारिता कर रहे अनवर जमाल अशरफ ने टीवी चैनलों से लेकर अखबारों और समाचार एजेंसी से रेडियो तक हर जगह काम किया है. भारत के सर्वश्रेष्ठ पत्रकारिता संस्थान आईआईएमसी में पढ़ाई के बाद नवभारत टाइम्स, पीटीआई, स्टार न्यूज़ और एनडीटीवी जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में महत्वपूर्ण पदों पर काम कर चुके हैं. यूरोप के कई देशों का दौरा कर चुके हैं और हरदम कुछ नया करना चाहते हैं.

  • हमारी टीम

    ईशा भाटिया

    देश के अलग अलग राज्यों में अपना बचपन बिता कर विभिन्न संस्कृतियों को समझा और इसीलिए 2009 में जब जर्मनी आईं तो यहां की संस्कृति में घुलने में भी समय नहीं लगा. ईशा भाटिया ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से जर्मन साहित्य में मास्टर की डिग्री प्राप्त की और फिर वहीं पढाया भी. साथ साथ दिल्ली में काम किया स्विस रेडियो के साथ. यहीं से पत्रकारिता में रुचि बढ़ी और DW आ पहुंचीं.

  • हमारी टीम

    आभा मोंढे

    1997 में इन्दौर विश्वविद्यालय के पत्रकारिता की पढ़ाई की. इन्दौर में रहते हुए अपनी पसंद का काफी कुछ किया. कथक भी सीखा,साहित्य पढ़ा, अंग्रेजी साहित्य पढ़ा, कविताएं लिखने का शौक भी लगा, कुछ रंगमंच भी किया. फिर 2003 में जर्मनी आना हुआ. लेकिन 2006 में जब DW के हिन्दी विभाग में आई तो आभा को लगा अरे, यही था जो वह करना चाहती थी.

  • हमारी टीम

    मानसी गोपालकृष्णन

    मानसी गोपालकृष्णन ने दिल्ली की जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है. जर्मनी से इनका नाता 1996 से रहा है. मानसी ने जर्मन साहित्य मे मास्टर्स की डिग्री हासिल की है. अब जर्मन समाज और संस्कृति के विभिन्न पहलुओं को समझने की कोशिश कर रही हैं और साथ ही प्रयास है अंतरराष्ट्रीय राजनीति के पेंचों को समझने का और उन्हें आप तक पहुंचाने का भी.

  • हमारी टीम

    ओंकार सिंह जनौटी

    2005 से पत्रकारिता कर रहे ओंकार सिंह जनौटी कॉमर्स के छात्र रहे हैं. प्रयोगधर्मी हैं और मानवाधिकार से जुड़े मुद्दों में उनकी दिलचस्पी है. जाने माने टीवी न्यूज़ चैनल एनडीटीवी इंडिया के लिए ओंकार ने चार साल तक रिपोर्टिंग की. वह खबर को बारीकी से समझने और सरल ढंग से समझाने की कोशिश करते हैं. ओंकार का मानना है कि उन्हें काफी कुछ सीखते हुए एक लंबा सफर तय करना है.

  • हमारी टीम

    निखिल रंजन

    दूरदर्शन के साथ काम करते हुए पत्रकारिता की दुनिया में कदम रखा. बाद में दिल्ली के भारतीय जनसंचार संस्थान से पत्रकारिता की पढ़ाई की और उसके बाद एनडीटीवी से जुड़े. छह साल से ज्यादा के अपने पत्रकारिता के करियर में निखिल ने ज्यादा वक्त टेलीविजन के लिए काम करते हुए बिताया है पर ऑनलाइन के लिए काम करना भी उन्हें उतना ही पसंद है.

  • हमारी टीम

    नाना सेन

    नाना सेन 1984 से DW बांग्ला और हिंदी विभाग की तकनीकी सहयोगी हैं. बॉन और कोलोन विश्वविद्यालय में भारत विद्या और संगीत शास्त्र की डिग्री हासिल की. DW के हिंदी कार्यक्रम में तकनीकी सहयोग के अलावा वे प्रशासनिक कार्यों की देख-रेख भी करती हैं. काम के प्रति लगन और कार्यक्रम की गुणवत्ता को लेकर नाना अत्यंत गंभीर हैं.

  • हमारी टीम

    विनोद चढ्डा (वीणा)

    1975 में विनोद चढ्डा जर्मनी में भारतीय दूतावास से जुड़ीं. दूतावास में शुरू हुआ सिलसिला 28 सालों तक चला. जर्मन एकीकरण के बाद राजधानी बॉन से बर्लिन चली गई तो भारतीय दूतावास भी बॉन छोड़ गया. लेकिन वीणा ने बॉन को न छोड़ने का फैसला किया. 2005 में DW हिन्दी के श्रोता विभाग में काम शुरू किया और तब से आपकी चिट्ठियों को सहेजने का काम कर रही हैं.