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दुनिया

  • आस्था का सफर

    मक्का की ओर

    आस्था का सफर

    हर मुसलमान जिंदगी में एक बार मक्का का सफर करना चाहता है. इसी जगह में काबा भी है, जिसे अल्लाह का घर माना जाता है. काबा मक्का के बड़े मस्जिद के अंदर है और जो काले कपड़े से ढका रहता है. श्रद्धालु सात बार काबा के चक्कर काटते हैं.

  • पैगंबर मुहम्मद

    मक्का की ओर

    पैगंबर मुहम्मद

    इस्लाम को कायम करने वाले पैगंबर मुहम्मद मक्का में पैदा हुए. 14वीं शताब्दी की इस तस्वीर में काबा के अरब कबीलों के प्रतिनिधि को दिखाया गया है. वे एक काले पत्थर को ला रहे हैं जिसे काबा के पूर्वी कोने में रखा गया है.

  • जोखिम भरा सफर

    मक्का की ओर

    जोखिम भरा सफर

    पुराने जमाने में श्रद्धालुओं के लंबे कारवां मक्का आते थे. मिस्र या मध्यपूर्व के किसी देश से आ रहे इन कारवों पर कई हमले होते थे.

  • बदल गया जमाना

    मक्का की ओर

    बदल गया जमाना

    आजकल श्रद्धालु हवाई जहाज से सऊदी अरब आते हैं. जेद्दाह में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से 80 किलोमीटर दूर मक्का तक बस से पहुंचा जा सकता है.

  • तंबुओं का शहर

    मक्का की ओर

    तंबुओं का शहर

    मक्का के पास मीना घाटी है जहां हर साल हजारों तंबु लगाए जाते हैं. इनमें हज के दौरान मक्का आ रहे श्रद्धालुओं को ठहराया जाता है. लाखों लोगों को ठहराने के लिए बहुत तैयारी होती हैं.

  • काबा के लिए पाक

    मक्का की ओर

    काबा के लिए पाक

    काबा जाने से पहले पुरुष श्रद्धालु सफेद वस्त्र पहनते हैं. यह सफेद कपड़े के दो टुकड़े हैं जिन्हें सिला नहीं जाता. इसे पहनना पवित्र होने की निशानी मानी जाती है. इसे इहराम कहा जाता है.

  • क्षमा की चोटी

    मक्का की ओर

    क्षमा की चोटी

    हज के शुरू होने पर श्रद्धालु पावन पहाड़ी अराफत पर जाते हैं जो मक्का से 25 किलोमीटर की दूरी पर है. पैगंबर मुहम्मद ने यहा आखिरी बार उपदेश दिए थे. पहाड़ी पर चढ़कर श्रद्धालु अपने पापों के लिए क्षमा मांगते हैं.

  • शैतान का संगसार

    मक्का की ओर

    शैतान का संगसार

    हज के दौरान शैतान को कई बार पत्थर से मारा जाता है. मक्का में भी श्रद्धालु ऊंची दीवारों पर सात छोटे पत्थर मारते हैं. यह दीवार शैतान को दर्शाते हैं. पहले मीनारों पर पत्थर फेंके जाते थे लेकिन इनसे अकसर यात्रियों को चोट लग जाती थी.

  • गरीबों को दान

    मक्का की ओर

    गरीबों को दान

    हज में बलिदान करना अहम है. इस दौरान इब्राहिम की कहानी को याद किया जाता है जो अल्लाह के कहने पर अपने बेटे इस्माइल (इसाक) का बलिदान करने को तैयार हो गए. बाइबल की ही तरह एक आदमी की जगह एक बकरे या कोई दूसरे जानवर को मारा जाता है और इसे गरीबों में बांटा जाता है.

  • हागार के लिए पानी

    मक्का की ओर

    हागार के लिए पानी

    यह कहानी भी बाइबल की पहली किताब जैसी है. श्रद्धालु सात बार मक्का के बड़े मस्जिद के चक्कर काटते हैं. इस दौरान इब्राहिम की पत्नी हागार को याद किया जाता है जिसने अपने बेटे इस्माइल की तलाश में सात बार सफा और मारवा की पहाड़ियों के चक्कर लगाए. इसके बाद अल्लाह ने पानी के फव्वारे निकाले जिससे इस्माइल को बचाया जा सका.

  • भीड़ के बीच से

    मक्का की ओर

    भीड़ के बीच से

    हाजियों की बड़ी संख्या की वजह से कई बार भगदड़ मच जाती है और सैंकडों लोग घायल होते हैं. 2006 में पत्थर मारने के दौरान भगदड़ मच गई और 350 लोगों की जाने गईं.

  • एक साथ मिल कर

    मक्का की ओर

    एक साथ मिल कर

    पूरी दुनिया से 25 लाख मुस्लिम 2011 में मक्का पहुंचे. उनके लिए 20,000 डॉक्टर तैनात थे. 10,000 सैनिक और पुलिसकर्मियों ने सुरक्षा इंतजामों को पुख्ता बनाया और लोगों पर निगरानी रखी.

  • ...या फिर अकेले

    मक्का की ओर

    ...या फिर अकेले

    कई मुस्लिमों के लिए हज उनकी जिंदगी का सबसे अहम पड़ाव होता है. लेकिन जिस तरह यह हाजी अकेले पहाड़ी पर नमाज पढ़ रहा है, वैसा मक्का में कम ही होता है.


    रिपोर्ट: मानसी गोपालकृष्णन | संपादन: आभा मोंढे